सिद्धाचार्य श्री जसनाथ जी की आरती
ॐ जय श्री जसनाथा, स्वामी जय श्री जसनाथा ।
बार-बार आदेश, नमन करत माथा ।।ॐ
तुम जसनाथ सिद्धेश्वर स्वामी मात तात भ्राता ।
अजय अखंड अगोचर , भक्तन के त्राता ।।ॐ
धर्म सुधारण पाप विडारण, भागथली आता ।
अविचल आसन गोरख , गुरु के गुण गाता ।।ॐ
परमहंस परिपूर्ण ज्ञानी ,परमोन्नती करता ।
ब्रह्म तपो बल योगी , करमवीर धरता ।।ॐ
जाल वृक्ष अति उत्तम सुन्दर , शांत सुखद छाता ।
योग युक्त जसनाथ विराजे , मन मोहन दाता ।।ॐ
श्री हांसो जी चंवर दुलावत, नमन करत पाला ।
हरोजी करत आरती गुरु के गुण गाता ।।ॐ
भक्त्त लोग सब गावत , जोड़ जुगल हाथा ।
सुवरण थाल आरती ,करत रुपांदे माता ।।ॐ
सुर नर मुनि जन जसवंत गावत , ध्यावत नव नाथा ।
सिद्ध चौरासी योगी , जसवंत मन राता ।।ॐ
जतमत योगी जगत वियोगी , प्रेम युक्त ध्याता ।
सूर्य ज्योतिमय दिव्य रूप के , शुभ दर्शन पाता ।।ॐ
ॐ जय श्री जसनाथा, स्वामी जय श्री जसनाथा ।
बार-बार आदेश, नमन करत माथा ।।ॐ
तुम जसनाथ सिद्धेश्वर स्वामी मात तात भ्राता ।
अजय अखंड अगोचर , भक्तन के त्राता ।।ॐ
धर्म सुधारण पाप विडारण, भागथली आता ।
अविचल आसन गोरख , गुरु के गुण गाता ।।ॐ
परमहंस परिपूर्ण ज्ञानी ,परमोन्नती करता ।
ब्रह्म तपो बल योगी , करमवीर धरता ।।ॐ
जाल वृक्ष अति उत्तम सुन्दर , शांत सुखद छाता ।
योग युक्त जसनाथ विराजे , मन मोहन दाता ।।ॐ
श्री हांसो जी चंवर दुलावत, नमन करत पाला ।
हरोजी करत आरती गुरु के गुण गाता ।।ॐ
भक्त्त लोग सब गावत , जोड़ जुगल हाथा ।
सुवरण थाल आरती ,करत रुपांदे माता ।।ॐ
सुर नर मुनि जन जसवंत गावत , ध्यावत नव नाथा ।
सिद्ध चौरासी योगी , जसवंत मन राता ।।ॐ
जतमत योगी जगत वियोगी , प्रेम युक्त ध्याता ।
सूर्य ज्योतिमय दिव्य रूप के , शुभ दर्शन पाता ।।ॐ
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